सृष्टि है तेरी कविता

सृष्टि है तेरी कविता, गाती है सन्ना तेरी 2 
सारी धरा पर गूँजती है, निस दिन महिमा तेरी 
सृष्टि है तेरी कविता, गाती है सन्ना तेरी 2 
 
झरने की कल कल भी, करती है तेरी महिमा  
पक्षी भी गाते है, तू है कितना महान
वन के सुमन भी है हंसते, करते हैं जय जयकार । 2 

सृष्टि है तेरी कविता, गाती है सन्ना तेरी 2   

नभ की नीलिमां से तारे, धरती को करते इशारे
सागर की चंचल मौजे,देती हैं तेरी ही यादें 
ऊँचे शिखर भी हैं कहते, तेरी कला है अपार 2  

सृष्टि है तेरी कविता, गाती है सन्ना तेरी 2 
सारी धरा पर गूँजती है, निस दिन महिमा तेरी 
सृष्टि है तेरी कविता, गाती है सन्ना तेरी 2 

Srishti hai teri kavita

Psalms