प्यासा हिरन जैसे ढूँढे हैं जल को वैसे प्रभु मैं तुझे खोज रहा। तू ही मेरे मन की अभिलाषा तेरी पूजा नित दिन करता रहूँ मैं सोना चाँदी मैं तो न माँगू मन तेरे प्रेम से भरता रहूँ मैं तू जो बन जाये श्रद्धा सुमन पुष्प पराग सा झरता रहूँ मैं
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